गरियाबंद के सुपेबेड़ा गांव की मुसीबतें कम होती नहीं दिख रही हैं। अक्टूबर 2019 में राज्यपाल अनुसूईया उइके और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव इस गांव में पहुंचे थे। ग्रामीणों को बेहतर इलाज और साफ पानी देने का वादा किया था। कहा था कि पेयजल के लिए सरकार ने 16 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। वादा पूरा नहीं हुआ तो सुपेबेड़ा सहित 9 गांवों के लोग CM हाउस पहुंच गये।
गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा और आसपास के दर्जन भर गांवों की त्रासदी अंतहीन हो गई है। यहां दूषित पानी की वजह से ग्रामीणों की किडनी खराब हो रही है। दावा है कि पिछले कुछ वर्षों में किडनी की बीमारी से 90 लोगों की मौत हो चुकी है। दो साल पहले सरकार ने पड़ोस की तेल नदी से पेयजल परियोजना शुरू करने का वादा किया था। परियोजना के लिए मंजूरी भी मिली। निविदा भी जारी हुई, काम शुरू भी हुआ था, लेकिन पिछले पांच महीनों से काम बंद है। ग्रामीणों ने स्थानीय अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने परियोजना की फाइल सचिवालय में होने की बात कह दी। कहीं से भरोसा नहीं मिला ग्रामीणों ने आंदोलन का रास्ता अपनाया।
सुबह 7.30 बजे सुपेबेड़ा और आसपास के गांवों के 80-90 लोग गरियाबंद के लिए रवाना हुए थे। कोशिश थी कि कलेक्टर से मिलकर तेल नदी पर प्रस्तावित सुपेबेड़ा पेयजल योजना को शुरू कराने का था। कलेक्टर से बात के बाद कोई समाधान निकलता नहीं दिखा तो ग्रामीणों ने सरकार को उनका वादा याद दिलाने की कोशिश की। वे उसी बस से राजधानी आ गये। शाम को वे शहर में घुसे ही थे कि पुलिस ने उन्हें पचपेड़ी नाका के पास रोक लिया। ग्रामीण बसोें से उतरकर वहीं धरने पर बैठ गये। करीब डेढ़ घंटे बाद मुख्यमंत्री निवास से अफसरों को फोन गया। ग्रामीणों में से 10 को प्रतिनिधि के तौर पर CM हाउस बुलाया गया।
CM हाउस पहुंचने पर उन्हें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नहीं मिले। कहा गया कि वे बाहर हैं। गृह और लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू और मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों ने ग्रामीणों से बातचीत की। ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल सुपेबेड़ा गांव के त्रिलोचन सोनवानी ने बताया, गृह मंत्री भी टेंडर जल्द निकालने की बात कह रहे थे। लेकिन कोई यह नहीं बता रहा था कि परियोजना पर काम कबसे शुरू हो जाएगा। करीब आधे घंटे की बातचीत के बाद भी कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने पर ग्रामीण निराश होकर गांव लौट गए।
ग्रामीणों ने कहा, गांव से एक बोतल पानी लाये हैं पीकर दिखाइये
गृहमंत्री से बातचीत में ग्रामीण बेहद गुस्से में दिखे। एक ग्रामीण ने कहा, वे लोग गांव से एक बोतल पानी लेकर आये हैं। आपके सुरक्षाकर्मियों ने गेट पर ही उसे रखवा लिया। उसे मंगवाते हैं। उसकी एक घूंट पीकर दिखाइये। आप नहीं पी पाएंगे क्योंकि आपको पता है कि वह जहर है। यहां के अफसर भी सुपेबेड़ा जाते हैं तो वहां का पानी नहीं पीते। लेकिन हमें वही पानी पीने को मजबूर किया जा रहा है।
2018-19 में सुपेबेड़ा चर्चा का केंद्र था। अक्टूबर 2019 में राज्यपाल अनुसूईया उइके खुद वहां पहुंची थीं। उस समय तेल नदी से पानी पहुंचाने की योजना मंजूर हुई थी।
2018-19 में सुपेबेड़ा चर्चा का केंद्र था। अक्टूबर 2019 में राज्यपाल अनुसूईया उइके खुद वहां पहुंची थीं। उस समय तेल नदी से पानी पहुंचाने की योजना मंजूर हुई थी।
बड़े आंदोलन की तैयारी
सुपेबेड़ा के त्रिलोचन सोनवानी ने बताया, ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में परियोजना शुरू करने के लिए 7 दिनों का समय दिया है। अगर तब तक काम शुरू नहीं हुआ तो बड़ा आंदोलन होगा। हम लोगों ने ब्लॉक मुख्यालय देवभोग में प्रदर्शन होगा। सरकार ने नहीं सुनी तो हम लोग दिल्ली जाकर प्रदर्शन को भी तैयार हैं। सरकार को हमारी समस्या सुलझानी होगी। ग्रामीण अब और बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।