प्रतापगढ़ के कुंडा से बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने शुक्रवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर नई राजनीतिक पार्टी बनाने की आधिकारिक घोषणा करते हुए पार्टी के मुद्दों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि एससी-एसटी एक्ट, आरक्षण का दुरुपयोग और जातिवादी योजनाओं को देखते हुए एक नई पार्टी की जरूरत को महसूस किया. जहां से उन लोगों की आवाज उठाई जा सके.
राजा भैया ने कहा कि देश और प्रदेश में तमाम पॉलिटिकल पार्टियां हैं लेकिन वे आम लोगों से जुड़े मुद्दे पर सदन में चर्चा तक नहीं करते. जिसे देखते हुए उन्होंने नई पार्टी बनाने के लिए निर्वाचन आयोग में आवेदन किया है. इस प्रक्रिया में दो से ढाई महीने का वक्त लगेगा. हमने तीन नामों को सुझाया है, जिनमें जनसत्ता पार्टी, जनसत्ता दल और जनसत्ता लोकतान्त्रिक पार्टी का नाम शामिल है.
राजा भैया ने एससीएसटी एक्ट और आरक्षण को लेकर समाज में फैल रहे विद्वेष को देखते हुए नई पार्टी बनाई है. लखनऊ स्थित अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए राजा भैया ने कहा, "राजीव गांधी के समय में एससीएसटी एक्ट कानून बनाया गया. उसके बाद इसमें कई संशोधन हुए. इसे गैर जमानती बनाया गया. यह भी कहा गया कि इसकी जांच पहले इंस्पेक्टर करेंगे. इसके बाद इसमें भी संशोधन किया गया. "
उन्होंने कहा, "पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद एक अफवाह फैली. अफवाह यह थी कि एससीएसटी एक्ट खत्म कर दिया गया है. सरकार ने भी इस अफवाह को शांत करने के लिए कुछ भी नहीं किया. इसके बाद हुए आंदोलन में जमकर हिंसा हुई. इसके बाद एक बार फिर संसद में संशोधन बिल पास हुआ. सभी दलों ने एक राय से इसे सहमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने विवेचना के बाद गिरफ़्तारी की बात कही थी. मैं भी मानता हूं कि यही होना चाहिए."
राजा भैया ने कहा, "दलित समाज हमारा अभिन्न अंग है. हम सभी लोग एक ही समाज के अंग हैं. दलित का उत्थान हमारी अनदेखी करके नहीं किया जा सकता. संविधान हम सभी को एक अधिकार देता है. यह भी कहा जाता है कि 100 गुनहगार भले ही छूट जाएं पर एक निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए. लेकिन आज ऐसा नहीं हो रहा है. जाति के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है."
राजा भैया ने उदाहारण देते हुए कहा कि आज अगर किसी दलित की लड़की के साथ बलात्कार होता है तो उसके लिए अलग मुआवजा का प्रावधान है. अगर वही सामान्य वर्ग के साथ ऐसा हुआ तो सरकार का रवैया अलग होता है. अपराध किसी के भी साथ हो सभी को एक नजर से देखना चाहिए. अगर जाति के आधार पर न्याय दिया जाएगा तो दलित कभी भी समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाएगा.
उन्होंने कहा कि आज आरक्षण में प्रमोशन की बात हो रही है. मेरा मानना है कि प्रमोशन गुणवत्ता और वरिष्ठता के आधार पर होना चाहिए, न कि जाति के आधार पर. पूर्व मंत्री ने आरक्षण का भी विरोध किया. उन्होंने कहा कि आरक्षण योग्यता के आधार पर हो. जिन आईएएस और आईपीएस अधिकारीयों के बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं उन्हें आरक्षण का लाभ क्यों दिया जाए?