भिलाई. नगर निगम चुनाव में आरक्षित वार्डों पर जाति प्रमाण पत्र अनिवार्य होगा। छत्तीसगढ़ की सूची में शामिल जाति के ही अभ्यर्थी पात्र माने जाएंगे। आरक्षित वार्डों पर चुनाव लडऩे के लिए उम्मीदवारों को उक्त श्रेणी का अनुविभागीय अधिकारी या डिप्टी कलेक्टर द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा, तभी वे चुनाव लडऩे के लिए योग्य होंगे। हालांकि, समान्य वार्डों पर चुनाव लडऩे वालों के लिए इसकी कोई आवश्यकता नहीं होगी। भिलाई में बड़ी संख्या में दीगर प्रांत के लोग रहते हैं। उनके पिता या पूर्वज छत्तीसगढ़ के मूल निवासी नहीं थे, फिर अब तक वे मात्र स्व घोषणा से अनुसूचित जाति, जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षित श्रेणी से चुनाव लड़ते थे। अब ऐसा नहीं होगा। आरक्षित श्रेणी का जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर ही नामांकन फॉर्म मिलेगा। शिकायत या आपत्ति की स्थिति में उच्च स्तरीय छानबीन समिति का जाति सत्यापन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना भी पड़ सकता है।
जाति प्रमाण पत्र के लिए लगा रहे दौड़
राज्य शासन ने पिछली बार हुए निकाय चुनाव से इसकी अनिवार्यता की है। यही वजह है कि अब तक नगर निगम के पिछले चार कार्यकाल जो लोग चुनाव लड़ते व जीतते आए हैं, इस बार वे जाति प्रमाण पत्र के लिए दस्तावेज जुटाने दौड़ लगा रहे हैं। अनुसूचित जाति/जनजाति के प्रकरण में आपके पिता/पूर्वजों का 10 अगस्त 1950/6 सितंबर 1950 तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए दिनांक 26 दिसंबर 1984 से पूर्व का मूल निवास प्रमाण पत्र अथवा उक्त दिनांक के 15 वर्ष पूर्व का अभिलेख जिससे प्रमाणित हो सके कि पूर्वज छत्तीसगढ़ के भौगोलिक सीमा के मूल निवासी थे।
29 पार्षदों के पास नहीं था जाति प्रमाण पत्र
नगर निगम के निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष रिकेश सेन ने कहा है कि निगम गठन से लेकर अब तक तक ऐसे लोग जो आरक्षित श्रेणी में नहीं आते थे वे भी फर्जी तरीके से अपनी जाति का उल्लेख कर चुनाव लड़ते रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों का हक मारा जाता रहा है। निगम के पिछले कार्यकाल में ही 29 ऐसे पार्षद थे जिनके पूर्वज छत्तीसगढ़ के भौगोलिक सीमा के मूल निवासी नहीं थे। इनके पास छग की सूची में शामिल जाति का प्रमाण पत्र भी नहीं था फिर भी वे आरक्षित सीट से चुनाव लड़े और पांच साल का कार्यकाल भी पूरा किए। छग निर्वाचन आयोग से अपील करेंगे कि आरक्षित श्रेणी का स्थाई जाति प्रमाण पत्र होने पर ही अभ्यर्थी को नामांकन फॉर्म दिया जाए।
अब ये नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
भारत सरकार, गृह मंत्रालय के निर्देश एवं सर्वोच्य न्यायालय के 5 सदस्यीय संविधान पीठ के निर्णय के अनुसार अनुसूचित जाति/जनजाति जिनके पूर्वज 1950 को तथा अन्य पिछड़ा वर्ग जिनके पूर्वज 1984 को छत्तीसगढ़ के भौगोलिक सीमा के मूल निवासी नहीं थे, उन्हें जाति प्रमाण-पत्र एवं आरक्षण की पात्रता उनके पिता/पूर्वजों के मूल राज्य में आएगी, छत्तीसगढ़ राज्य में नहीं। अर्थात ऐसे लोग यहां चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
बाद में दिक्कत न हो इसलिए सामान्य वार्ड से मैदान में उतरने की तैयारी
शहर में गुरुवार को एक राजनीतिक दल के नेताओं की बैठक की चर्चा है। इसमें उनके नेता ने साफ कहा कि कोई रिस्क न लें। अगर आरक्षित सीट से चुनाव लडऩे में कोई झमेला या संवैधानिक दिक्कत हो सकती है तो अभी से अपने अगल-बगल के सामान्य वार्ड से चुनाव लड़ लें। महापौर के रेस में शामिल ऐसे दो प्रमुख दावेदार व कद्दावर नेताओं के अब वार्ड बदलने की भी चर्चा है। डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे, कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारी दुर्ग ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में घोषित अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग की जाति सूची में शामिल उम्मीदवार ही आरक्षित सीट से चुनाव लडऩे के लिए पात्र होंगे।