छत्तीसगढ़ में मवेशियों के गोबर पर राजनीति तेज हो गई है। गोधन न्याय योजना के तहत मवेशियों के गोबर खरीदी के भुगतान को लेकर भाजपा आक्रामक है। भाजपा विधायकों ने आज आबकारी सेस का उपयोग गोबर खरीदी में करने का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ के महालेखाकार से सरकार की शिकायत की है।
भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और शिवरतन शर्मा ने गोधन न्याय योजना से जुड़ा प्रश्न लगाया। शिवरतन शर्मा ने सवाल किया कि सरकार किस मद से गोबर विक्रेताओं का भुगतान कर रही है। जवाब में कृषि, जल संसाधन और पशुधन विकास मंत्री रविंद्र चौबे नें बताया, भुगतान के लिए गोधन न्याय योजना का मद है। इसके लिये हमने सेस लगाया हुआ है। प्रश्नकाल के अंतिम समय में सदन से वॉकआउट कर भाजपा विधायक दल पैदल ही महालेखाकार के कार्यालय पहुंच गया। वहां उन्होंने महालेखाकार लेखा एवं हकदारी को ज्ञापन साैंपकर कार्रवाई की मांग की।
भाजपा विधायक दल का कहना था, सरकार ने मई में दो अधिसूचनाओं के जरिए देशी शराब पर 10 रुपये और विदेशी शराब पर 10 प्रतिशत की दर से सेस अधिरोपित किया। यह स्वास्थ्य क्षेत्र में आधारभूत ढांचे पर खर्च होना था। 3 मार्च 2021 की स्थिति में इस सेस से 364.75 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। सरकार ने अप्रेल 2020 से गोठानों के विकास और रखरखाव के लिये प्रति बोतल खरीदी पर 5 रुपये का सेस लगाया। अब तक इस मद से भी 156 करोड़ रुपये की राशि इकट्ठा हुई है।
कहा, इन जिसके लिए सेस था उनको तो कुछ दिया ही नहीं
भाजपा विधायक दल ने कहा, इस मद से सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को कोई राशि नहीं दी है। 23 फरवरी को मुख्यमंत्री ने अनुपूरक बजट पेश किया। इसमें 200 करोड़ रुपये का प्रावधान है, लेकिन यह मुख्यमंत्री औद्योगिक उन्नयन निगम को दिया जाना है। पंचायत और कृषि विभाग को भी सेस से कोई रकम नहीं दी गई है। यह रकम गोधन न्याय योजना पर व्यय की जा रही है।
क्या है गोधन न्याय योजना, जिसपर बवाल है
छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले साल जुलाई से यह योजना शुरू की। इसके तहत सरकार पशुपालकों से 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीद रही है। इस गोबर से वर्मी कम्पोस्ट और दूसरी चीजें बनाकर गोठान समितियों और स्व-सहायता समूहों के जरिए बेचा जा रहा है। सरकार अब तक 77 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है।