अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव (Minister TS Singhdeo) के मुख्य आतिथ्य, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा की अध्यक्षता तथा स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के विशिष्ट आतिथ्य में रविवार को राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला उद्यम समागम का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में सरगुजा, सूरजपुर तथा बलरामपुर- रामानुजगंज जिले के उद्योगपति, भावी उद्यमी तथा इंजीनियरिंग कालेज, पॉलिटेक्निक कालेज तथा कृषि महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं शामिल हुए।
इस अवसर पर उद्योग मंत्री (Industrial Minister) कवासी लखमा ने सरगुजा जिले के इंजीनियरिंग कॉलेज (Engineering College) में इंक्यूबेशन सेंटर खोलने की घोषणा की। मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि आज की स्थिति में सभी शिक्षित युवाओं को सरकारी नौकरी दे पाना संभव नहीं है।
पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि सरगुजा अंचल खनिज तथा वनों से आच्छादित क्षेत्र है। यहां के खनिज संसाधन, वनोपज तथा कृषि उपज के आधार पर औद्योगिक इकाइयां स्थापित होने से स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहन तथा लोगो को रोजगार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि कोई भी समाज तब तक आगे बढ़ कर मंजिल को नहीं पा सकता जब तक वह एक सीमा तक उद्योगों को नहीं अपनाता। छत्तीसगढ़ में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने तथा उद्यमियों को सहूलियत देने के लिए नई उद्योग नीति 2019 बनाई गई है।
इस नीति को बनाने के लिए राज्य के कई शहरों में उद्योगपतियों का सम्मेलन कर उनसे सुझाव लिया गया। इस नीति में आदिवासी क्षेत्रों में उद्योगपति यदि 100 रुपये पूंजी लगाता है तो उसे शासन 150 रुपये सहायता राशि उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि कोई उद्योगपति साधारणत: अपनी इकाई शहर से ज्यादा दूर लगाने में रुचि नही लेता क्योंकि उसे सुविधा चाहिए होती है।
इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर हमें ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन एवं अन्य सामग्री सुलभ करानी होगी। इसके लिए कच्चा माल नजदीक में उपलब्ध हो तथा उत्पाद के लिए बेहतर बाजार हो ताकि माल की जल्दी सप्लाई हो सके। सिंहदेव ने कहा कि आज की स्थिति में सभी शिक्षित युवाओं को सरकारी नौकरी दे पाना संभव नहीं है।
युवा उद्यमी बनने की सोचें। सरकार उन्हें आगे बढ़ाने में पूरा सहयोग करेगी। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि युवाओं को स्वरोजगार के हर संभावना से जोड़ें ताकि अधिकाधिक युवाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में हो। कार्यशाला को संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े, लुण्ड्रा विधायक डॉ. प्रीतम राम ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंड़ल के अध्यक्ष शफी अहमद,वन औषधी पादप बोर्ड के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक, बीस सूत्रीय क्रियान्वयन कार्यक्रम के उपाध्यक्ष अजय अग्रवाल, महापौर डॉ. अजय तिर्की, जिला पंचायत अध्यक्ष मधु सिंह, उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता, जिला पंचायत सदस्य आदित्येश्वर शरण सिंहदेव सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी, उद्योगपति एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
सरगुजा में तैयार करना है औद्योगिक वातावरण
कलक्टर संजीव कुमार झा ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कार्यशाला से सरगुजा में औद्योगिक वातावरण तैयार करना है। उन्होंने कहा कि उपस्थित उद्यमी तथा विभागीय अधिकारी एक दूसरे से टू-वे संवाद कर अपनी समस्याएं, सुझाव एवं विचार साझा करें।
छत्तीसगढ़ की उद्योग नीति काफी सरल
उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि हमारी सरकार की नई औद्योगिक नीति के कारण ही कोरोना काल में भी राज्य के उद्योग बंद नहीं हुए और न ही हानि हुई बल्कि 1200 नए इकाई स्थापित हुए। छतीसगढ़ देश में तेजी से बढ़ता हुआ आद्योगिक राज्य है। हमारी उद्योग नीति बहुत सरल है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी विकास खंडों में फूड पार्क की स्थापना के लिए भूमि का अधिग्रहण तेजी से किया जा रहा है। इसमेंआदिवासी और कमजोर वर्ग के लोगों की जमीन नही ली जा रही है। स्वेच्छा से देना चाहे ंतभी लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य शहरों में ही नही अपितु ग्रामीण क्षेत्रो में भी उद्योग की स्थापना करना है। इसके साथ ही उद्योग लगाने की शुरुआत ही नही करनी है बल्कि 18 महीने में पूरा करने का भी लक्ष्य रखा गया है।
सरगुजा में उद्योग के लिए बने योजना
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम (Education Minister) ने कहा कि लोगों को उद्योग का लाभ कैसे मिले तथा सरगुजा संभाग में उद्योग के लिए जो संभावना बन सकती है उसे ध्यान में रखते हुए योजना बनाने की आवश्यकता है। सरगुजा में लघु वनोपज के रूप में महुआ का प्रसंस्करण कर लड्डू, आचार, जैम, सेनिटाइजर आदि बनाये जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि धान खरीदी के लिए बड़ी मात्रा में बारदाने की जरूरत पड़ती है। जूट का उद्योग अभी छत्तीसगढ़ में नहीं है। इसकी शुरुआत की जा सकती है। इसी प्रकार गन्ने एवं मकके से एथेनाल बनाने की तैयारी भी किया जा सकता है।