छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज बोलने को लेकर हंगामा हो गया। मामला इतना बढ़ा कि भाजपा विधायकों ने कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया। पूरा विधायक दल नेता प्रतिपक्ष के कमरे में जाकर बैठ गया। संसदीय कार्य मंत्री के मनाने के बावजूद भाजपा विधायक वापस सदन में नहीं लौटे।
बजट सत्र के 9वें दिन गृह विभाग के बजट की चर्चा हो रही थी। आसंदी से इसके लिए 3 घंटे का समय निर्धारित किया गया था। भाजपा की ओर से चर्चा की शुरुआत भाटापारा विधायक शिवरतन ने की। उनको बोलते हुए आधे घंटे से अधिक हो गए तो विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने उन्हें टोक दिया। महंत ने कहा, आप सब इतने विद्वान हैं कि 6 घंटे तक बोल सकते हैं लेकिन अगर आप चार लोग ही 30-30 मिनट का समय लेंगे तो तीन घंटा तो यही हो जाएगा। आप समय का ध्यान क्यों नहीं रखते। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, पहले वक्ता को संरक्षण मिलना चाहिए। शिवरतन शर्मा ने कहा, सदन में विपक्ष के बोलने की परंपरा रही है।
बोलने के लिए दूसरे को मौका दे दिया तो भड़का विपक्ष
भाजपा विधायकों के तर्कों के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने अगले वक्ता के तौर पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम का नाम पुकारा। भाजपा विधायकों ने इसका विरोध किया। व्यवस्था नहीं बदली तो विपक्ष नारेबाजी करता हुआ सदन से बाहर निकल गया। भाजपा विधायक दल के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के कमरे में आकर बैठ गया। वहां विचार-विमर्श के बाद तय हुआ कि भाजपा आज दिनभर किसी कार्रवाई में भाग नहीं लेगी।
मनाने पहुंचे मंत्री पर नहीं बनी बात
भाजपा विधायक दल के फैसले की जानकारी मिलने के बाद संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे उनको मनाने नेता प्रतिपक्ष के कक्ष में गए। वहां उन्होंने सभी से सदन में वापस चलने का आग्रह किया। भाजपा विधायकों की ओर से बृजमोहन अग्रवाल ने साफ शब्दों में कह दिया कि आसंदी की व्यवस्था से असहमत होकर उन लोगों ने आज की कार्यवाही का बहिष्कार किया है। आज तो वे लोग सदन में नहीं जाएंगे। बाद में भाजपा के सभी विधायक बाहर से ही घर चले गये।
कांग्रेस विधायक से दुर्व्यवहार मामले में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाई भाजपा
बिलासपुर से कांग्रेस विधायक शैलेश पांडेय से जनवरी में हुए दुर्व्यवहार के मामले में भाजपा विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाई है। शुन्यकाल में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने विधानसभा अध्यक्ष से इस प्रस्ताव को स्वीकार कर कार्रवाई का आग्रह किया। भाजपा विधायक ने कहा, यह बेहद गंभीर मामला है। विधायक शैलेश पाण्डेय के साथ दुर्व्यवहार हुआ है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो विधायकों का काम करना मुश्किल हो जाएगा। फिलहाल इस प्रस्ताव को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने पर कोई फैसला नहीं हुआ है।