चित्रकूट । दशहरा पर डकैत बबुली कोल गिरोह का पूरी तरह अंत हो गया। पुलिस ने गैंग के बचे एक मात्र सदस्य 50 हजार के इनामी डकैत छोटे भइया उर्फ वीरप्पन कोल को मुठभेड़ में दबोच लिया है। उसके पास से 315 बोर की राइफल व भारी मात्रा में कारतूस बरामद हुए हैं। उस पर लूट, अपहरण आदि के सात मामले दर्ज हैं। पुलिस का दावा है कि अब जंगल में कोई डकैत नहीं बचा है।
जनपद व डीआइजी रेंज की एंटी डकैत टीमें मंगलवार को सर्विलांस टीम के साथ बहिलपुरवा थाना क्षेत्र में सर्चिंग करते हुए मारकुंडी की ओर जा रही थीं। इसी दौरान माढ़ों बांध के पास कुछ हरकत दिखी। पुलिस ने ललकारा तो दूसरी ओर फायङ्क्षरग शुरू हो गई। पुलिस ने जवाबी फायङ्क्षरग कर घेराबंदी की और डकैत को पकड़ लिया। एसपी मनोज कुमार झा ने बताया कि पकड़ा गया डकैत छोटे भइया उर्फ वीरप्पन पुत्र रज्जू कोल निवासी टिकरिया थाना मारकुंडी है। ये आईएस 262 गैंग के सरगना बबुली कोल के मारे जाने के बाद असलहा लेकर तीन साथियों के साथ फरार हो गया था।
पिछली 19 सितंबर को सोहन कोल और 23 सितंबर को संजय कोल को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि एक साथी लाली कोल को एमपी पुलिस दबोच चुकी है। वीरप्पन की गिरफ्तारी के बाद अब जंगल में गैंग का पूरी तरह खात्मा हो गया है। वीरप्पन ने बताया कि उसने गांव में एक लड़की से छेड़छाड़ कर दी थी जिसमें मारपीट हुई थी और उसके खिलाफ एफआइआर हो गई थी। तो वह डकैत बन गया।
आटोसेमी रायफल से पहले लवलेश फिर बबुली को मारी थी गोली
मध्य प्रदेश पुलिस की मुठभेड़ को 50 हजार इनामी डकैत छोटे भाइया उर्फ वीरप्पन ने भी फर्जी करार दिया है। उसने डकैत सोहन व संजय की बात पर मुहर लगाते हुए कहा कि चारों ने मिल कर सरगना बबुली कोल और लवलेश कोल को मारा था। आटोसेमी रायफल से पहले लवलेश और फिर बबुली को गोली मारी गई थी। जरायम की दुनिया में आतंक का पर्याय बन चुके साढ़े छह लाख इनामी डकैत बबुली कोल और 1.80 लाख इनामी लवलेश कोल को मार गिराने का दावा मुठभेड़ में एमपी पुलिस ने किया था।
हालांकि शवों से उठ रही दुर्गंध और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार दैनिक जागरण ने प्रथम पेज में 'मुर्दों से मुठभेड़ करती रही पुलिस' शीर्षक से खबर छापी थी। इसकी पुष्टि पकड़े गए डकैत सोहन और संजय कोल ने किया था और दोनों डकैत को मारने का खुद दावा किया। उनकी बात पर बुधवार को वीरप्पन ने भी मुहर लगाई। एसपी कार्यालय के बाहर बोला कि सोहन, संजय, लाली और उसने मिल कर बबुली व लवलेश को मारा था।
दोपहर में उतारा था मौत के घाट
वीरप्पन ने बताया कि वह गैंग में पांच माह पहले शामिल हुआ था लेकिन बबुली व लवलेश उनको गाली गलौज व मारपीट करते थे और घर जाने की छुट्टी भी नहीं देते थे। जिससे आजिज आकर योजना बनाई और जब गिरोह दोपहर करीब दो बजे बैठा आराम कर रहा था तो दोनों को मौत के घाट उतार दिया।