इस्लामाबाद। पाकिस्तान के इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को सीनेट चुनावों में पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की जीत के खिलाफ सत्तारूढ़ दल की एक याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राजनीतिक मामलों में न्यायपालिका को 'अनावश्यक रूप से घसीटना' उचित नहीं है। पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के उम्मीदवार के तौर पर सीनेट का चुनाव लड़ने वाले गिलानी ने सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के उम्मीदवार और वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख को हराकर प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ा झटका दिया। इमरान अपने मंत्रिमंडल के सहयोगी के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रचार किया था।
विपक्ष ने इसके बाद प्रधानमंत्री इमरान खाने के इस्तीफे की मांग की थी। फिर इमरान खान ने शनिवार को विश्वास मत हासिल करने का फैसला किया। उन्होंने इसे आराम से हासिल कर लिया। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (IHC) ने पीटीआइ के नेता अली नवाज की याचिका पर सुनवाई की। इसमें आरोप लगाया गया कि गिलानी को चुनाव में वोट-खरीद कर जीत मिली। कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अथार मिनल्लाह ने प्रारंभिक दलीलें सुनने के बाद याचिकाकर्ता को पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ECP) के पास जाने का आदेश दिया, जहां मामला पहले से ही सुनवाई के अधीन है। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 'राजनीतिक मामलों में न्यायपालिका को अनावश्यक रूप से घसीटना उचित नहीं है' और याचिका खारिज कर दी।
विपक्ष ने गिलानी को सीनेट के चेयरमैन का उम्मीदवार बनाया
बता दें कि गिलानी को विपक्ष ने इस बार सीनेट के चेयरमैन का उम्मीदवार बना दिया है। सीनेट का चुनाव 12 मार्च को होगा। वह ग्यारह विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के उम्मीदवार हैं। पाकिस्तान के चुनाव आयोग (इसीपी) ने मंगलवार को सीनेट के हालिया चुनावों में वोट खरीदने के आरोपों पर सिर्फ वीडियो क्लिप के आधार पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। इमरान सरकार का आरोप गिलानी के बेटे अली हैदर के कुछ पीटीआइ सदस्यों के साथ बात करने के वीडियो पर आधारित है।