वाशिंगटन। अमेरिका का जो बाइडन प्रशासन चीन के प्रति अपनी नीति में कोई भी नरमी नहीं बरतेगा। वह चीन के पड़ोसी देशों को अपना सहयोग देगा, ताईवान और हांगकांग में मानवाधिकारों के लिए समर्थन करेगा। शिनजियांग और तिब्बत में मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज उठाता रहेगा। अमेरिका भारत जैसे सहयोगी देशों के साथ अपने संबंधों को और अधिक मजबूत करेगा। भारत के साथ विश्वस्तर पर नए मानदंडों को स्थापित करते हुए नए समझौतों को अंजाम देगा।
अमेरिका की अंतरिम राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति पर राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी मुहर लगा दी है। जिसे बुधवार को जारी किया गया। इस नीति में कहा गया है कि अमेरिका का भविष्य आसपास होने वाली घटनाओं से जुड़ा है, जहां विश्व में राष्ट्रवाद और लोकतंत्र के लिए संघर्ष किया जा रहा है। चीन और रूस जैसे अधिनायकवादी देशों की प्रतिद्वंद्विता से उसका सामना है।
24 पेज के इस दस्तावेज में कहा गया है कि विश्व में शक्ति संतुलन की स्थिति बदल रही है। विशेषरूप से चीन और अधिक मुखर हो रहा है। अमेरिका ने अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन को ही माना है, जो आर्थिक, कूटनीतिक, सैन्य और तकनीकी रूप से सक्षम है। इसके साथ ही रूस के बारे में आगाह किया है कि वह विश्व में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए विघटनकारी भूमिका निभाने में सक्रिय है। ईरान और उत्तरी कोरिया भी अपने क्षेत्रों में स्थितियों को मनमाफिक बनाने के लिए ताकत में इजाफा कर रहे हैं।
अमेरिका ने अपने विजन डाक्यूमेंट में कहा है कि वह बीजिंग की चुनौतियों का पुरजोर जवाब देगा, उसके अवैध व्यापार, जबरन अपनाई गई आर्थिक नीतियों और साइबर चोरी को रोकेगा। चीन की इन नीतियों से अमेरिका को भी नुकसान हुआ है।