रायपुर। Uproar In Chhattisgarh Assembly: छत्तीसगढ़ में राज्य गठन के बाद पहली बार विपक्ष के विधायक नियंत्रक महालेखाकार (सीएजी) के पास शिकायत लेकर पहुंचे। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की अगुवाई में भाजपा विधायक विधानसभा से पैदल सीएजी दफ्तर पहुंचे।
विधायकों ने नियंत्रक महालेखा परीक्षक को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें शराब पर लगे सेस का अन्य मद में खर्च करने का आरोप लगाया और जांच की मांग की। इससे पहले प्रश्नकाल में भी भाजपा विधायकों ने गोबर खरीदी और सेस की राशि को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा।
विपक्ष का आरोप था कि गोबर खरीदी में सरकार ने मनमाने तरीके से पैसा खर्च किया है। भारी मात्रा में गोबर डंप पड़ा है, जो अनुपयोगी साबित हो रही है। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाक आउट किया।
विधायक शिवरतन शर्मा का सवाल था कि गोधन न्याय योजना अंतर्गत किस-किस जिले में कितना गोबर खरीदा गया और किस-किस मद में कितना भुगतान किया गया? खरीदे गए गोबर से किस-किस जिले में कितना वर्मी कंपोस्ट तैयार हुआ? वर्मी कम्पोस्ट कितनी मात्रा में किन संस्थाओं को कितनी कीमत में बेचा गया? इस योजना के प्रारंभ होने के बाद किस जिले में कितना गोबर वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए अनुपयुक्त हो गया और इसका क्या उपयोग किया जाएगा?
मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि गोधन न्याय योजना अंतर्गत योजना प्रारंभ से 15 फरवरी 2021 तक समस्त 28 जिलों में 40.359 लाख क्विंटल गोबर खरीदा गया और सात हजार 752.13 लाख का भुगतान किया गया। प्रदेश में खरीदे गोबर से 70044.18 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट तैयार हुआ।
शिवरतन ने पूछा कि इस योजना में भुगतान किस मद से किया गया? चौबे ने कहा कि पंचायती राज अधिनियम के तहत गोठान ग्राम पंचायतों की प्रापर्टी है। समितियों के माध्यम से गोबर खरीदा गया। शर्मा ने कहा कि खरीदी को लेकर ग्राम सभा में प्रस्ताव प्रभारी मंत्रियों द्वारा मांगा गया था।
ग्राम सभा के प्रस्ताव के विपरीत जाकर 90 प्रतिशित समितियां तय कर ली गईं। 355 लाख की पेमेंट स्वीकार कर लिया गया। चौदहवें एवं पंद्रहवें वित्त की राशि से इसका पेमेंट करवाया जा रहा है। पंचायतों के अधिकार का खुलेआम हनन हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा था दो माह गोबर पड़ा रह जाए तो वर्मी कंपोस्ट बनाने लायक नहीं रहता।
इस समय लाखों टन गोबर पड़ा हुआ है। इसके उपयोग और सुरक्षा की क्या गारंटी है? चौबे ने फिर दोहराया कि गोधन न्याय योजना से भुगतान हुआ है। शर्मा ने कहा कि मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं। 14वें व 15वें वित्त आयोग की राशि से ही भुगतान हुआ है। मंत्री की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं आने पर भाजपा विधायक सदन से बाहर चले गए।