Narak Nivaran Chaturdashi 2020: माघ चतुर्दशी को ही नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन नरक निवारण चतुर्दशी होती है, जो आज 23 फरवरी दिन गुरुवार को है। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव, माता पार्वती तथा विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है, आयु में वृद्धि होती है, नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। नरक निवारण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व माना गया है।
माघ चतुर्दशी: आज ही तय हुआ था शिव-पार्वती का विवाह
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माघ चतुर्दशी के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह तय हुआ था। इसके ठीक 30 दिनों के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था। भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की तिथि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है।
इसलिए महत्वपूर्ण है नरक निवारण चतुर्दशी
महाशिवरात्रि से पहले पड़ने वाले माघ चतुर्दशी यानी नरक निवारण चतुर्दशी के दिन शिव परिवार की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि इस तिथि को भी महाशिवरात्रि के समान ही प्रभावशाली माना जाता है। इस दिन पूजा और व्रत करने से शिव परिवार अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
नरक निवारण चतुर्दशी: पूजा विधि
कहा जाता है कि भगवान शिव को माघ और फाल्गुन मास की चतुर्दशरी अधिक प्रिय है। आज के दिन भक्तों को व्रत का संकल्प करते हुए पूरे दिन भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए। पूजा के समय उनको बेलपत्र और बेर जरूर अर्पित करना चाहिए। बाकी जैसे शिव की पूजा करते हैं, वैसे पूजा संपन्न करें। फिर शाम के समय बेर खाकर व्रत खोलें। इस व्रत से प्राप्त होने वाले पुण्य के प्रभाव से व्यक्ति स्वर्ग में स्थान पाता है।
आज व्रत और पूजा करने से मिलता है मोक्ष
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हर प्राणी को मृत्यु के बाद उसके किए गए कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक का भोग करना होता है। जिन लोगों ने अपने जीवन काल में गलत काम होते हैं, उनको नरक की यातनाएं भोगनी होती हैं। ऐसे में नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और वह व्यक्ति नरक की यातनाओं से मुक्त हो जाता है, पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।