नई दिल्ली : 'Sheetala Ashtami 2020': आज शीतलाष्टमी या 'बसौड़ा' मनाया जा रहा है। यह पर्व चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतलाष्टमी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन माता शीतला की पूजा अर्चना से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती है और व्रती के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। यह पर्व माता शीतला को समर्पित होता है और उत्तर भारत में इसे बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि माता शीतला को प्रसाद के रूप में बासी भोजन भेंट किया जाता है।
मां का स्वरूप
मां शीतला गधे पर विराजती हैं और उनके एक हाथ में कलश तो दूसरे हाथ में झाड़ू है। धार्मिक शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि मां जिस कलश को पकड़ी है, उसमें 33 करोड़ देवी-देवता विराजते हैं।
महत्व
चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन से ही माता शीतला की पूजा अर्चना की जाती है और सप्तमी की रात को ही माता को प्रसाद भेंट करने के लिए भोजन पकाया जाता है। अष्टमी के दिन उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। इसके बाद प्रसाद लोगों में बांटा जाता है। इस दिन खाना नहीं पकाया जाता है, बल्कि शीतला माता को चढ़ाएं गए प्रसाद को ही ग्रहण किया जाता है।
मां शीतला की पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ़-सफाई करें। इसके बाद नहा-धोकर व्रत संकल्प लें और फिर माता शीतला की पूजा अर्चना करें और उन्हें बासी भोजन का भोग लगाएं। साथ ही आप माता शीतला को फल, फूल और मिष्ठान आदि भेंट करें।मां शीतला रोग और कष्टों से मुक्ति दिलाती हैधार्मिक ग्रंथों में निहित है कि जो व्यक्ति मां की पूजा विधि विधान पूर्वक करता है, उसे समस्त प्रकार के रोगों एवं कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से मां अपने भक्तों की कई महामारी जैसे चेचक, माता आदि से रक्षा करती है।