ग्राम निंबोला में विगत 8 दिनों से चल रहे गो उत्सव में 13 नवंबर को रात में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कविताओं का ऐसा रस बरसा कि हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोता झूम उठे। खास बात यह रही कि श्रोताओं में मातृशक्ति की तादाद ज्यादा थी जो पूरे समय बैठी रही। शुरुआत दीपिका दीप ने सरस्वती वंदना से की। मुकेश मानस लोहारी ने याद आती है मां गीत सुनाया। राम शर्मा परिंदा मनावर ने हास्य को कविता पेश करते हुए कहा- कई लोगों के ऐसे ही जल रहे हैं चूल्हे खुद को कवि कहते हैं सुनाते हैं चुटकुले के साथ कई हास्य कविताएं प्रस्तुत की। राहुल तोमर बड़दा ने हास्य चुटकियों के साथ कहा कि- ताजमहल को प्यार की निशानी इतिहास करता है बयां तो फिर राम सेतु है क्या? दीपक पटवा दीव्य मनावर ने जरा सी ओट से दीपक की लौ नहीं बुझती गजल सुनाई। विजय शर्मा खलघाट ने गाय की महिमा का बखान करते हुए कहा कि -तन का मन का और धन का सभी का जन-जन का नाता है, वो और कोई नहीं गाय माता है। कवियित्री दीपिका दीप मनावर ने कहा मैं पवन तुम गंध हो, मैं रोला तुम छंद हो, मैं दीपक तुम बाती हो, तुम ही जीवन साथी हो गीत सुनाया। इनकी और संचालनकर्ता राम शर्मा परिंदा की काव्य मय नोक-झोंक भी श्रोताओं को खूब पसंद आई। सुनील पटेल मांडवी व नवीन अत्रे मांडवी ने रचनाएं सुनाईं। शरद जोशी शलभ धार ने कहा कि - सुन लो मेरा गीत जो तुम्हें सुनाने आया हूं, भारत सोने की चिड़िया है यह तुम्हे जताने आया हूं। वीर रस के कवि प्रद्युम्न शर्मा “भानू” मांडवी ने कहा -मैं तो वह भानू हूं जो नित नया सवेरा लाऊंगा, मरते दम तक अपनी जुबां से वन्देमातरम् गाऊंगा। हितेन्द्रसिंह चौहान बंटी बम मनावर ने हास्य बमों से श्रोताओं को गुदगुदाया। अरविंद पंड्या अंजड़ व अशोक चक्रधारी देवास ने भी पाठ किया। राम शर्मा परिंदा ने संचालन किया। आभार गो शाला प्रमुख महेंद्र गुप्ता ने व्यक्त किया।